...

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"बेशुमार प्यार"
बेशुमार प्यार करके देखा जो जहाँ,
हर ओर नज़र आया ख़ुदा वहाँ..!

आँखों में डूबते गए जितना हम तुम्हारी,
बढ़ता ही गया मोहब्बत का कारवाँ..!

कौन जाने कब तक कितने किरदार,
ख़्यालों में खोये कब क्यों कहाँ..!

बिगड़ती बातों में साथ देना तुम,
बन के हमसफ़र हमनवा..!

ख़िले गुल इश्क़ के धड़कने हुई जवाँ,
मैं चाँद चंद लम्हों का तुम पूरा मेरा आसमाँ..!

काँटों भरी ज़िन्दगी में तुम ख़ूबसूरत बाग़बाँ,
इश्क़ की इबादत से ईश्वर हुए मेहरबाँ..!
© SHIVA KANT