...

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तेरी दीवानी...
भरोसा नही था, तूम पर
फिर भी नाजानें केसे भोरसा कर बैठी।

प्यार नही था, तुम से
फिर भी अनजाने में प्यार कर बैठी।

नफरत होती थी जब, तुम मुझे देखते थे,
लेकिन अब इतने साल बीत गए है, उन प्यार भरी नजरों को न देखे हुए।

और में पगली उस प्यारे से चेहरे को देखेने के लिए अब तरस सी गई हूं ।
वो सुकून लापता हो गया है।

तुम्हे चुप के देखना और फिर वो अन्यास ही मेरे चेहरे पर मुस्कान आना,
वो मुस्कान कही गायब हो गई है।

तुम मुझे सपनो में हमेशा मिला करते हों,
कभी सच में भी आना ।

इंतज़ार रहेगा हमेशा तुम्हारा ।
तेरी दीवानी💌
© ishqi_Writer🪶🪶