तेरी दीवानी...
भरोसा नही था, तूम पर
फिर भी नाजानें केसे भोरसा कर बैठी।
प्यार नही था, तुम से
फिर भी अनजाने में प्यार कर बैठी।
नफरत होती थी जब, तुम मुझे देखते थे,
लेकिन अब इतने साल बीत गए है, उन प्यार भरी नजरों को न देखे...
फिर भी नाजानें केसे भोरसा कर बैठी।
प्यार नही था, तुम से
फिर भी अनजाने में प्यार कर बैठी।
नफरत होती थी जब, तुम मुझे देखते थे,
लेकिन अब इतने साल बीत गए है, उन प्यार भरी नजरों को न देखे...