नशा......
नशा........
कहते हैं लोग कि मैं बहुत नशा करता हूं,
घर बार सब छोड़कर,
आज कल मयखाने में बसा करता हूं,
कोई कहता है इसे बुरी संगत का असर
तो कोई कहता है होगा कोई ग़म या किसी की याद बसर,
सब ने बहुत तर्क देकर देख लिए,
लेकिन कोई ना बता पाया मेरी...
कहते हैं लोग कि मैं बहुत नशा करता हूं,
घर बार सब छोड़कर,
आज कल मयखाने में बसा करता हूं,
कोई कहता है इसे बुरी संगत का असर
तो कोई कहता है होगा कोई ग़म या किसी की याद बसर,
सब ने बहुत तर्क देकर देख लिए,
लेकिन कोई ना बता पाया मेरी...