शायरी
सुना है तेरी गलींयों की हवायें
मेरी गलीयों का पता पुछने आयी थी
उन हवाओं कों पता ही नहीं...
मेरी गलीयों का पता पुछने आयी थी
उन हवाओं कों पता ही नहीं...