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अजीब दास्तां है ये।
क्या अजीब दास्तां है ये,
रहना चाहते थे साथ मगर हो गए दूर,
मिलना चाहते थे मगर हो गए मजबूर।
इस पढ़ाई के सिलसिले ने खेला ऐसा रुख,
दो दिल मिल कर भी ना कर सके ये चुख।
कुछ बनने की चाह लिए दोनों भाग रहे थे,
बेफिक्र हुए एक दूसरे से बस जिए जा रहे थे।।
ना कोई इज़हार ना कोई एतबार,
बस दोस्ती का नाम दिए कर रहे थे प्यार।।
रहना चाहते थे साथ मगर हो गए दूर,
मिलना चाहते थे मगर हो गए मजबूर।
इस पढ़ाई के सिलसिले ने खेला ऐसा रुख,
दो दिल मिल कर भी ना कर सके ये चुख।
कुछ बनने की चाह लिए दोनों भाग रहे थे,
बेफिक्र हुए एक दूसरे से बस जिए जा रहे थे।।
ना कोई इज़हार ना कोई एतबार,
बस दोस्ती का नाम दिए कर रहे थे प्यार।।
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