मौन बना मन
मन मौन व्रत कर अपराध करता है
किस भांति देखो आघात करता है
व्यंग पर गंभीरता का प्रहार करता है
प्रतीक्षारत नयन पर वार करता है,
मौन अक्सर हज़ार सवाल उठाता है,
मौन सवाल भी है और जवाब भी,
आतुरों का जीना दुश्वार करता है,
चंचल मन, चुप्पी साध परेशान करता है।
मन बेहद ज़िद्दी है, करे मन का अपने,
इसने भी पाल रखे हैं कुछ हठीले सपने,
पर पूरे न होते देख ये मौन धारण कर लेता,
वाचाल मन बच्चों सा मौन ग्रहण कर लेता।
__Archna Bharti
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