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संस्कार
संस्कार

अच्छी बातें अपनाने को कहते हैं संस्कार,
आने वाले जीवन में ये बनते हैं ये सुंदर आधार,

हो गई सब पुरानी दादी नानी की अनोखी कहानी,
सारी दुनियां हो गई मोबाइल की दीवानी,

छोटे बच्चे को भी अब कहां नसीब होती,
नानी दादी की दूध भात की कौर,अब तो

शहरी दो कमरे में बच्चें करते शोर,खाना
खाने में नखरे करते मां पकड़ाती फोन,देख
देख अंग्रेजी rhymes, बच्चें खाते कम,

संस्कार वहीं कहलाते जो जीवन उपवन में
फैलाते,ये फूलों सी सुगंध, गलत राह से
कदम रोकते,ये अनुशासन बंध,

आज दुनियां भर में मचा हुआ कोहराम,
इसका कारण केवल एक हैं हम भूल गए
संस्कार,

होती जब संस्कार पेड़ की जैसे ठंडी छांव,
जहां पहुंच कर मिलता हमको शीतल सच्ची ठांव।।

लेखिका मनीषा झा
यूपी सिद्धार्थनगर