...

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जन्माष्टमी की बधाई..
आज के दिन दो नन्हे कदम मीठी सी मुस्कान लिए आए धरती पे, हाथ मैं बंसी उठाएं, सर पर मुकुट के संघ मोर पंख लगाए।
अपनी शरारतों से सबको सताए, गोपियां के साथ रास रचाए और वह अपनी मैया के दुलारे कहलाए।
वहां दूसरी तरफ कर असुरों का नाश, नारी का मान रखा किया विश्व संघार, मित्रता का मान बढ़ाया जब सुदामा स्वयं मिलने आया, करा सबका कल्याण खुले दिल से स्वीकार किया भक्तों के सारे उपहार किसी ने दी दुआ किसी ने दिए श्राप हंसते-हंसते सह गए तुम ना आने दी भक्तों पर आच। फल स्वरुप सहना पड़ा उन्हें दुख पहले मैया से फिर प्यार से हुआ वियोग।
है कान्हा ! तुम करते हो सब का भला बसे से हो दिल में सबके मन से मांगी यह दुआ तुम्हारे मुख का तेज यह मुस्कुराहट बनी रहे युगों-युगों तक।
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