पग-पग पे लोग मिलते गए
सीखते गए तजुर्बा जिंदगी का,
लिखते रहे मुक्कदर तकदीर का;
निरंतर हम ऐसे ही बढ़ते गए,
पग-पग पे लोग मिलते गए।
कुछ खो गया कुछ हासिल हुआ,
कोई दरिया तो कोई साहिल हुआ;
कभी तर...
लिखते रहे मुक्कदर तकदीर का;
निरंतर हम ऐसे ही बढ़ते गए,
पग-पग पे लोग मिलते गए।
कुछ खो गया कुछ हासिल हुआ,
कोई दरिया तो कोई साहिल हुआ;
कभी तर...