इंतज़ार!
#इंतज़ार
कोई दूर होकर भी लगे पास,
पास झांका तो बस तन्हाई का ऐहसास,
अगर तुम साजिशों में हो तो खेल बनना चाहेंगे हम...
पलको की खिड़की से झांक रही वो आंखे,
अंजान अक्स की पहचान करा रही वो आंखे,
अगर तुम आसुंओ में हो तो बेशक रोना चाहेंगे हम...
चेहरे की वो अधूरी शिकन,
सुनाई ना दे ऐसी जज़्बाती धड़कन,
अगर तुम इज्तीरार में हो तो सुकून बनना चाहेंगे...
कोई दूर होकर भी लगे पास,
पास झांका तो बस तन्हाई का ऐहसास,
अगर तुम साजिशों में हो तो खेल बनना चाहेंगे हम...
पलको की खिड़की से झांक रही वो आंखे,
अंजान अक्स की पहचान करा रही वो आंखे,
अगर तुम आसुंओ में हो तो बेशक रोना चाहेंगे हम...
चेहरे की वो अधूरी शिकन,
सुनाई ना दे ऐसी जज़्बाती धड़कन,
अगर तुम इज्तीरार में हो तो सुकून बनना चाहेंगे...