...

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आजादी की अधूरी लड़ाई
P.S. यह कविता किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचा सकती है लेकिन वास्तव में मेरा ऐसा करने का कोई इरादा नहीं है, फिर भी अगर यह कविता आपको ठेस पहुंचाती है तो कृपया उदार बनें और मुझे माफ कर दें, यह सिर्फ एक दृष्टिकोण है और इसका इरादा किसीको ठेस पहुंचाना नहीं है। धन्यवाद।
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हाँ, कहने को तो छिहत्तर साल हो गए,
बीते उस दिन को, जब बाबासाहेब ने हमें यह संबोधन दिया।
कहने को तो हो गए उन्नासी साल,
जब हमारा ये तन, ये वतन आज़ाद हुआ।

लेकिन पूछता हूं मैं तुमसे,
उनकी...