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मां
साथ मेरे हर पल है मां।
तू ही तो सम्बल है मां।
विपदा कोई आये तो,
लगती अगल-बगल है मां।
तेरी इक हुंकार से डर,
भागे है सब अरिदल मां।
हम कीचड़ तड़ाग के हैं,
तू सरसिज शतदल है मां।
पुष्प सुवासित हैं तुझसे,
तू उनका परिमल है मां।
दूर-दूर बस रेत जहां
मरुथल में शाद्वल है मां।
बादल है तू, बरखा तू,
तू सरिता कलकल है मां।
धूप कड़ी जब सर पर हो
छाया तू शीतल है मां।
वृक्ष भी तू है, शाख भी तू,
तू ही उसका फल है मां।
हर अभाव की स्थिति में,
भावों की हलचल है मां।
कल थी तू और आज भी तू,
तू ही मेरा कल है मां।
कैसी विकट परिस्थिति हो
अटल और निश्चल है मां।
सुजनों को अमृत है तू,
दुष्टों हेतु गरल है मां।
कुपित हुई तो बस समझो
कर दे उथल-पुथल है मां।
क्षमा करे हर भूल मेरी
तू कितनी वत्सल है मां।
© इन्दु
तू ही तो सम्बल है मां।
विपदा कोई आये तो,
लगती अगल-बगल है मां।
तेरी इक हुंकार से डर,
भागे है सब अरिदल मां।
हम कीचड़ तड़ाग के हैं,
तू सरसिज शतदल है मां।
पुष्प सुवासित हैं तुझसे,
तू उनका परिमल है मां।
दूर-दूर बस रेत जहां
मरुथल में शाद्वल है मां।
बादल है तू, बरखा तू,
तू सरिता कलकल है मां।
धूप कड़ी जब सर पर हो
छाया तू शीतल है मां।
वृक्ष भी तू है, शाख भी तू,
तू ही उसका फल है मां।
हर अभाव की स्थिति में,
भावों की हलचल है मां।
कल थी तू और आज भी तू,
तू ही मेरा कल है मां।
कैसी विकट परिस्थिति हो
अटल और निश्चल है मां।
सुजनों को अमृत है तू,
दुष्टों हेतु गरल है मां।
कुपित हुई तो बस समझो
कर दे उथल-पुथल है मां।
क्षमा करे हर भूल मेरी
तू कितनी वत्सल है मां।
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