...

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असंवेदनशील
मुझे आभास होता था,
मेरा अंतर्ज्ञान कहता था,
वह छठी इंद्री जो होती है,
मुझे अक्सर बताती थी,
तुम्हारा अस्तित्व असंवेदनशील है,
तुम मेरे हो नहीं सकते!!
© Mohtasham Usmani