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ऊर्जा...
तेरी नज़र ही अगर मुझसे जुदा है
तो इसमें मेरी क्या गिला है
तू खुद से ही खफा है
तो इसमें मेरी क्या गिला है
तू ढूनना तो मुझे चाहता है
पर फिर भी
जाने अंजाने ही सही
मुझसे दूर जा रहा हैं
तो इसमें मेरी क्या खाता है
मैं ना मूरत में हूं
ना मैं सूरत में हूं
ना मैं आसमां में हूं
ना मैं ज़मीन में हूं
मैं तो ऊर्जा हूं
तुम्हारे एहसासों में हूं
तुम जहां मुझे महसूस करो
मैं उस कड़ कड़ मे हूं
मैं तुम में हूं...
© shafika singh
तो इसमें मेरी क्या गिला है
तू खुद से ही खफा है
तो इसमें मेरी क्या गिला है
तू ढूनना तो मुझे चाहता है
पर फिर भी
जाने अंजाने ही सही
मुझसे दूर जा रहा हैं
तो इसमें मेरी क्या खाता है
मैं ना मूरत में हूं
ना मैं सूरत में हूं
ना मैं आसमां में हूं
ना मैं ज़मीन में हूं
मैं तो ऊर्जा हूं
तुम्हारे एहसासों में हूं
तुम जहां मुझे महसूस करो
मैं उस कड़ कड़ मे हूं
मैं तुम में हूं...
© shafika singh
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