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ये कुछ दिन
हैं बस ये कुछ दिन,
फिर ना दिखाई दुंगी कहीं,
नई रंगीनियों से घिरे होगे तुम,
नए रंगों से रंगे, नई उम्मीद लिए,
फिर कोई मिले तुम्हे,
पल दो पल का सफर शायद
फिर तय करोगे।
अभी तो नहीं,
शायद तब याद आ जाऊं तुम्हे,
शायद तब अपनी तन्हाई में तुम्हे
मै दिख जाऊं।
या फिर जब कोई नहीं होगी,
बार बार तुम्हें अपनी याद दिलाने वाली,
तब।
© Jyoti
फिर ना दिखाई दुंगी कहीं,
नई रंगीनियों से घिरे होगे तुम,
नए रंगों से रंगे, नई उम्मीद लिए,
फिर कोई मिले तुम्हे,
पल दो पल का सफर शायद
फिर तय करोगे।
अभी तो नहीं,
शायद तब याद आ जाऊं तुम्हे,
शायद तब अपनी तन्हाई में तुम्हे
मै दिख जाऊं।
या फिर जब कोई नहीं होगी,
बार बार तुम्हें अपनी याद दिलाने वाली,
तब।
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