...

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शाम
हैं शाम कही जो ढल जाए,
मैं दिन का उजाला न देखूं;
ये रात कही जो अड़ जाए,
मैं सहर का जादू ना देखूं;
हैं चांद कहें जब मूझसे,
देखो न अभी भोर भई;
रातरानी कि...