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कल की चिंता आज ही सताने लगी है
कल की चिंता आज ही सताने लगी है
धीरे धीरे इन आखों से नींद जाने लगी है
सोचता रहता है दिलों-दिमाग़
अब भविष्य के बारे में
ना जाने सफलता की घड़ी कब आने वाली है
ऐसा नहीं है कि
मुझे अपनी मेहनत पर शक है
बस अब ज़िन्दगी
रोज नए नए रंग दिखाने लगी है
डर सा भी लगता है
आने वाले कल को देखकर
ना जाने ये कुदरत
मुझे क्या क्या सिखाने लगी है
अलग ज़िन्दगी तो सभी की
संघर्ष भरी होती है
और मुझे तो वो ख़ुद
काँटों पर चलना सिखाने लगी है
कल की चिंता आज ही सताने लगी है
धीरे धीरे इन आखों से नींद जाने लगी है
© Sukhbir Singh Alagh
धीरे धीरे इन आखों से नींद जाने लगी है
सोचता रहता है दिलों-दिमाग़
अब भविष्य के बारे में
ना जाने सफलता की घड़ी कब आने वाली है
ऐसा नहीं है कि
मुझे अपनी मेहनत पर शक है
बस अब ज़िन्दगी
रोज नए नए रंग दिखाने लगी है
डर सा भी लगता है
आने वाले कल को देखकर
ना जाने ये कुदरत
मुझे क्या क्या सिखाने लगी है
अलग ज़िन्दगी तो सभी की
संघर्ष भरी होती है
और मुझे तो वो ख़ुद
काँटों पर चलना सिखाने लगी है
कल की चिंता आज ही सताने लगी है
धीरे धीरे इन आखों से नींद जाने लगी है
© Sukhbir Singh Alagh
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