मजबूरी...!
#मजबूरी
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
मेरा सफ़र अधूरा है . !
सपनों से कुछ दूरी है ,
खामोशी कुछ और नहीं ,
ये तो बस मजबूरी है ....
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
मेरा सफ़र अधूरा है . !
सपनों से कुछ दूरी है ,
खामोशी कुछ और नहीं ,
ये तो बस मजबूरी है ....