...

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रंग
#ColorMemories
ये कैसा रंग लगा है मुझको
कभी लगता है ये प्रेमरंग है
कभी लगता है ये रंग हे दर्द का
कौनसा रंग है पता नहीं चलता

क्युं ये रंग लगा है मुझको
कभी खुशी कभी ग़म मिलता है मुझको
वो क्या चाहती है पता नहीं मुझको
लेकिन हर बार अपने रंग में रंगदेती है मुझको

कभी वो हंसती है
कभी वो देखती है प्यार से मेरी ओर
कभी वो दुर चली जाती है
देकर दिल को दर्द यह घोर

और यह दर्द बढता जाता है
किसे बताउ बताया नहीं जाता है
वो चुप बैठी रहती है
पर मेरे दिल में हजारों तुफान आते है

क्युं वो इतना सताती है
क्या उसे जरा भी याद नहीं आती है
वो कहती है कि मैं हर वक्त याद आता हुं
क्या ये सत्य है या मेरे दिल को धोखा है

में हमेशा सोचता हुं ये किस रंग में रंग गया
जहां खुशी से ज्यादा गम में डुब गया
क्युं वो ऐसा करती है
मुझे खुशी से ज्यादा दर्द ही देती है

अपने रंग में रंगने वाली ऐ दिलरूबा
या तो अपने रंग में पुर्णत रंगा रख
या पानी डालकर हटा दो सारे रंग
दोहरे रंगो में मेरे दिल को ना भिगो कर रख