...

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#लतामंगेशकर #श्रंद्धाजलि
हे! स्वर-साम्राज्ञी,कंठ-कोकिला,
संगीत-जगत की अनुकरणीय आधारशिला,
भारत माँ की स्नेहिल हदयकला,
कैसे करे ये संताप स्वीकार भला ?
🎼
संगीत-संसार की दे अपूरणीय-क्षति,
दीदी विश्राम-स्वर में है चली,
लता की ताल अब मौन हुई,
पर जन-जन के मन में गूंज रही,
'ऐ मेरे वतन के लोगों' की पंक्तियां,
मानों आज प्रतिक्षण प्रकृति में झूम रहीं !
मानों आज प्रतिक्षण प्रकृति में झूम रहीं !!

©Mridula Rajpurohit ✍️
🗓️ 7 February, 2022
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