...

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देर
कुछ देर और ठहरना
चाहती हूं तुझमें।

बशर्ते तुमने प्यार का
अलख जगाया हो
बादलों को मनाया हो
और आज बूंदों का
मन भर आया हो
धरा को चूमा हो उसने
सब कुछ उसमें डूब गया हो
और तुम मुझ में ठहर गए हो।

कुछ देर और ठहरना
चाहती हूं तुझमें।


© Jyoti Dhiman