चाहत
कल फ़िर अब लौट कर नही आयेगा
यादें ही तुम्हारी बस पास रह जायेगा
खुशियाँ जो कभी चूमा करतीं थीं दामन
अब वो खुशियों का सौग़ात नही आयेगा
बिछड़े हो तुम ख़ुद की ख़ुशी की ख़ातिर
मिलोगे हमसे तो फ़िर वो रास नहीं आयेगा
जमाना देता था उलाहने साथ रहने पर
रह कर अकेले क्या कुछ नहीं कह पायेगा
यादें ही तुम्हारी बस पास रह जायेगा
खुशियाँ जो कभी चूमा करतीं थीं दामन
अब वो खुशियों का सौग़ात नही आयेगा
बिछड़े हो तुम ख़ुद की ख़ुशी की ख़ातिर
मिलोगे हमसे तो फ़िर वो रास नहीं आयेगा
जमाना देता था उलाहने साथ रहने पर
रह कर अकेले क्या कुछ नहीं कह पायेगा