Ek Mulaqat
वो रात बड़ी खुश नसीब थी
जिसने मुझे तुमसे जोड़ा था
वो तारे भी चहक उठे
जिन्होंने तुमको देखा था
वो चांद की खुशकिस्मती जो तुम्हें देख न सका
देखा होता तो शायद जलन से राख हो जाता
वो फूल...
जिसने मुझे तुमसे जोड़ा था
वो तारे भी चहक उठे
जिन्होंने तुमको देखा था
वो चांद की खुशकिस्मती जो तुम्हें देख न सका
देखा होता तो शायद जलन से राख हो जाता
वो फूल...