" ऊँगली थाम "
" ऊँगली थाम "
समाज की अथवा परिवार की ऊँगली
थाम कर चलने वाले जाने कब दिल
और दिमाग से परिपक्व होंगे..?
मान-प्रतिष्ठा के नशे में चूर लोग अपने
अंहकार से कब बाहर निकलेंगे..?
इन्हें खुद और ख़्वाहिशों को झुलसाना
गवारा है परंतु खुद की ख़ातिर समाज
से परे जाकर...
समाज की अथवा परिवार की ऊँगली
थाम कर चलने वाले जाने कब दिल
और दिमाग से परिपक्व होंगे..?
मान-प्रतिष्ठा के नशे में चूर लोग अपने
अंहकार से कब बाहर निकलेंगे..?
इन्हें खुद और ख़्वाहिशों को झुलसाना
गवारा है परंतु खुद की ख़ातिर समाज
से परे जाकर...