...

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" ऊँगली थाम "
" ऊँगली थाम "

समाज की अथवा परिवार की ऊँगली
थाम कर चलने वाले जाने कब दिल
और दिमाग से परिपक्व होंगे..?

मान-प्रतिष्ठा के नशे में चूर लोग अपने
अंहकार से कब बाहर निकलेंगे..?
इन्हें खुद और ख़्वाहिशों को झुलसाना
गवारा है परंतु खुद की ख़ातिर समाज
से परे जाकर जिन्दगी में खुश रहना
अथवा किसी को देना कतई मंजूर
नहीं है..!

खुद ही विलेन हैं खुद से और औरों के लिए..!
बड़े अजीब सी इनकी फ़ितरत होती है जनाब..!

समाज की ख़ातिर ये खुद के अरमानों का गला घोंट देंगे मगर इसके ख़िलाफ आवाज उठाने की कुव्वत नहीं है इन झूठी शान के लिए जीने वाले लोगों में..!

निहायत कायर होते हैं इस प्रवृत्ति के लोग..!
ना खुद ही अपनी खुशी के लिए जीएंगे और ना तो किसी और को जीने देंगे..!

🥀 teres@lways 🥀