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इश्क़ की आग
हुस्न की जब उड़ान होती है
इश्क़ का इम्तिहान होती है
चांद आंगन में गर उतर आए
हर तमन्ना जवान होती है
जब जिगर में खलिश लगे होने
तब मुहब्बत जवान होती
देख पाया न कोई दर्द-ए-दिल
ये खलिश बेजुबान होती है
ज़िंदगी खा गई अगर धोखा
दर्द की दास्तान होती है
बह गए आंख से अगर आंसू
फिर मुहब्बत तमाम होती है
आग ये इश्क़ की बुझे न कभी
ख़ाक ही बस निदान होती है
बहर : 2122 1212 22 (112)
© अमरीश अग्रवाल "मासूम"
इश्क़ का इम्तिहान होती है
चांद आंगन में गर उतर आए
हर तमन्ना जवान होती है
जब जिगर में खलिश लगे होने
तब मुहब्बत जवान होती
देख पाया न कोई दर्द-ए-दिल
ये खलिश बेजुबान होती है
ज़िंदगी खा गई अगर धोखा
दर्द की दास्तान होती है
बह गए आंख से अगर आंसू
फिर मुहब्बत तमाम होती है
आग ये इश्क़ की बुझे न कभी
ख़ाक ही बस निदान होती है
बहर : 2122 1212 22 (112)
© अमरीश अग्रवाल "मासूम"
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