...

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तलाश
यह हर किसी को किसी न किसी की तलाश है
कोई ढूंढ रहा है खुद को किसी और में
किसी को खुद को जानने की प्यास है
जो मिल चुका उसकी कृतज्ञता नही
जो नही मिला उसके लिए मन उदास है
क्या था वो जो मिल भी जाता अगर
वो भी तो एक अनुभव ही होता
वस्तु ,मानव, उपलब्धि या चरम काम चेष्ठा
कुछ भी तो नहीं स्थाई
फिर क्यों किसलिए ये तलाश है
खुद को तो जानना है
चेतना के अगले स्तर तक पहुंच पाए
वो ही तो परम आनंद है
फिर भी भटक रहे है
अपनी पशुता के आवेश में
जाने क्या क्या पा कर खोने की तलाश में
मेरे अंदर तेरे अंदर बैठा अदना सा आदमी