...

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सृजन
शून्य में विलीन हो अनंतता में झांक कर
कष्ट,पीड़ा, दुःख सभी अनुभव सरीखे जान कर
नैराश्य अंधकार को खुद ही भस्म-राख कर
नित नवीन सृजन करूं मैं शब्द को तराश कर
© random_kahaniyaan

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