इश्क में
लोग इश्क में क्या-क्या कर गुजर बैठते हैं,
मैने तो तेरे वास्ते खरीदे है कंगन, पायल, ओर कानो के लिए झुमके,
इश्क में इसके आगे कभी गया ही नही।
हम महोब्बत के शायरों ने,
कभी कैदखाने से निकलना ही नही ,
उम्र भर रहते हैं सफर में,
कभी मंजिल पर पहुचना ही नही ।
मैं राह में अपने नक्से क़दम मिटाते हुए चलता हूं,
मुझे तेरी...
मैने तो तेरे वास्ते खरीदे है कंगन, पायल, ओर कानो के लिए झुमके,
इश्क में इसके आगे कभी गया ही नही।
हम महोब्बत के शायरों ने,
कभी कैदखाने से निकलना ही नही ,
उम्र भर रहते हैं सफर में,
कभी मंजिल पर पहुचना ही नही ।
मैं राह में अपने नक्से क़दम मिटाते हुए चलता हूं,
मुझे तेरी...