...

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सहारा भोलेनाथ का।
चल पड़े हम मंजिल की ओर,
रख धैैर्य,जोश और लगन,
अपने साजो सामान में,
राह थी,भयावह,पथरीली,
और कहीं कांटों से भरी,
अभी तय भी न हुई आधी दूरी,
कि हिम्मत टूट गई बीच राह में।
तनिक किया हमने विश्राम,
और लगाया भोलेनाथ बाबा का ध्यान,
बोले हम हैं पथिक कमजोर,
थाम लो बाबा आप,मेरे जीवन की डोर।
मुसीबतों को देख,धैर्य खोया हमने,
और डर कर कदम लगे खिसकने पीछे।
आत्मबल बढ़ाकर,दिया सहारा बाबा ने,
बोले बढ़ो आगे,सहारा हेतु मैं हूं तुम्हारे पीछे।
देकर सहारा भोलेनाथ ने,
मुझे मंजिल पार‌ उतारा।
मैं आजीवन रहूंगा अहसानमंद,
जिन्होंने संकटों से है मुझे तारा।

© mere ehsaas
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