...

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तेरी चाहत
तेरी चाहत में
हमने खुद को ख़ो दिया
वो हमदम मेरे तुझ पे
अपनी जान निसार कर दिए

अल्फ़ाज़ नहीँ मेरे पास उसके ख्याल आते ही
निःशब्द हो जाती हूँ मुस्कुराने लगती हुँ
खुद से ही बातें करने लगती हुँ

यूँ ही नहीँ दिल मेरा उसपे फ़नाह है
वो सुकून वो जुनून रब का दिया हुआ
अनमोल वरदान मेरी जिंदगी का मसीहा है

सुबह होते ही वो दिख जाए
और उससे बात हो जाये
फिर क्या कहना दिल मेरा
गाडन गाडन हो जाता है
पूरे दिन का खुराक
एक पल में मिल जाता है

दिल तो करता मेरा मेरे हर लिखे
शायरी पे तेरा नाम लिख दुँ
तेरे नाम के साथ मेरा नाम जोड़ दुँ

हुये है तेरे इश्क़ में यूं हम पागल हम पिया
नशा तेरी आँखों का मुझपे यूँ चढ़ा
फितूर तेरा जो मेरे सिर पर चढ़ा
हाय पूछो ना मेरा हाल कितना हो जाता है बुरा

बेवक्त तुम्हारा ख्याल आता है
तुम्हारी यादों में हरलम्हा डूबी रहती हूं
तेरी यादें मुझे एक पल भी खुद से
जुदा नही होने देती तू शामिल है
मुझमें मेरी रूह की तरह