# एक कवि
एक दीवानगी थी कविता में उसकी
जैसे दर्द को शब्दों में भर दिया जाए
एक नशा सा चढ़ जाया करता जब पड़ने बैठे
जेहन से फिर कभी वो उत्तारा न जाए
दिल्लगी में बोहत शायर युहीं बन जाते
उसकी लेखनी ऐसी की दिल की लगी बनजाए
© khush rang rina
जैसे दर्द को शब्दों में भर दिया जाए
एक नशा सा चढ़ जाया करता जब पड़ने बैठे
जेहन से फिर कभी वो उत्तारा न जाए
दिल्लगी में बोहत शायर युहीं बन जाते
उसकी लेखनी ऐसी की दिल की लगी बनजाए
© khush rang rina