रास्ता याद है मंज़िल भूल गये..
रास्ता याद है मंज़िल भूल गये
निकले थे सफर में साथ जिनके
वो तो कहीं रास्ते में ही छूट गये
कि ज़िंदगी के हर पड़ाव को
जो साथ देखने के वादे किये थे हमने
वो तो ना जाने कब के टूट गये
देख रहा हूँ अब मैं जिंदगी के सभी पड़ाव अकेले
जो साथ देने वाले थे
उनसे तो ना जाने रिश्ते कब के टूट गये
हाँ अकेलापन भी थोड़ा सालता है
उनका साथ ना होना भी दुख देता है
यादें उनकी आ आ कर
बरबस उनकी याद दिला कर रुलाती हैं मुझे
पर वो जिनकी यादें आज भी मेरे जेहन में जिंदा है
वो तो ना जाने कब के मुझे अकेला छोड़ गये
रास्ते तो मिल रहे हैं मुझे नये नये
पर जिस मंज़िल को जाना था हमें
उस मंज़िल को ही हम भूल गये..
© Jazbaat-e-Dil
निकले थे सफर में साथ जिनके
वो तो कहीं रास्ते में ही छूट गये
कि ज़िंदगी के हर पड़ाव को
जो साथ देखने के वादे किये थे हमने
वो तो ना जाने कब के टूट गये
देख रहा हूँ अब मैं जिंदगी के सभी पड़ाव अकेले
जो साथ देने वाले थे
उनसे तो ना जाने रिश्ते कब के टूट गये
हाँ अकेलापन भी थोड़ा सालता है
उनका साथ ना होना भी दुख देता है
यादें उनकी आ आ कर
बरबस उनकी याद दिला कर रुलाती हैं मुझे
पर वो जिनकी यादें आज भी मेरे जेहन में जिंदा है
वो तो ना जाने कब के मुझे अकेला छोड़ गये
रास्ते तो मिल रहे हैं मुझे नये नये
पर जिस मंज़िल को जाना था हमें
उस मंज़िल को ही हम भूल गये..
© Jazbaat-e-Dil