...

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मेरी मजबूरी
हम न छुपाते सच तुमसे,
ये झूठ नहीं मेरी मजबूरी है।
अगर तुम समझो, जो कुछ कहूँ मैं,
तो तुम्हें बताते क्या क्या ज़रूरी है;
यूं तो बेपर्दा हो गए हम जमाने में,
पर नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
सुना है मिल जाता है खुदा भी ढूंढने से,
हमें न मिला,तो क्या ...