...

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तुम से मैं
मैं शैल सी, तुम संगतराश
ढल जाती हूं मैं तेरी आदतों में
मैं मोम सी, तुम तपन
पिघल जाती हूं मैं तेरी बाहों में
मैं परछाई सी, तुम आइना
नज़र आती हूं मैं तेरी आंखों में

मैं प्यास सी, तुम सावन
तर जाती हूं मैं तुम्हारे बरसने से
मैं मुरझाई सी, तुम बाग़बान
खिल उठती हूं मैं तुम्हारे छूने से
मैं सांस सी, तुम धड़कन
मैं हूं बस तुम्हारे ही होने से

© agypsysoul