nanhi kaliyan
दो नन्ही कलियाँ हैं मेरे आंगन में
माँ माँ कर आंचल मेरा पकड़ लेती हैं
पल भर ओझल होते ही वो
सब कुछ छोड़ मेरे पीछे हो लेती हैं
ये कैसा अनोखा रिश्ता है जिसमे में बहती जाती हूँ
मैं उनकी हूँ वो मेरी हैं बाकी सब भूलती जाती हूँ
ऐसा लगता है मेरे जीवन की डोर...
माँ माँ कर आंचल मेरा पकड़ लेती हैं
पल भर ओझल होते ही वो
सब कुछ छोड़ मेरे पीछे हो लेती हैं
ये कैसा अनोखा रिश्ता है जिसमे में बहती जाती हूँ
मैं उनकी हूँ वो मेरी हैं बाकी सब भूलती जाती हूँ
ऐसा लगता है मेरे जीवन की डोर...