कारवां
कुछ गलतफहमियां थी दिल से अब दूर हुई है,
अमीरों के मुहल्ले में फकीरी मेरी मशहूर हुई है ।
कुछ ख्वाब संजोए थे पर गुल्लक था शीशे का,
पकङ ढ़ीली हुई और गिर के चूर-चूर हुई है।।
हमने भी कसीदे पढे थे तारीफ में मुहब्बत के,
पढा था...
अमीरों के मुहल्ले में फकीरी मेरी मशहूर हुई है ।
कुछ ख्वाब संजोए थे पर गुल्लक था शीशे का,
पकङ ढ़ीली हुई और गिर के चूर-चूर हुई है।।
हमने भी कसीदे पढे थे तारीफ में मुहब्बत के,
पढा था...