...

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कारवां
कुछ गलतफहमियां थी दिल से अब दूर हुई है,
अमीरों के मुहल्ले में फकीरी मेरी मशहूर हुई है ।
कुछ ख्वाब संजोए थे पर गुल्लक था शीशे का,
पकङ ढ़ीली हुई और गिर के चूर-चूर हुई है।।
हमने भी कसीदे पढे थे तारीफ में मुहब्बत के,
पढा था क्या और क्या हमें माजूर हुई है।
आज कल दिख कहाँ रही है वो मेरे घर यार के,
वफा की छुट्टियां शायद अब मंजूर हुई है।।
कुछ बातें भूलनी ही पङेगी उसने कहा है आज,
भले मजाक महफिल में मेरी भरपूर हुई है।
और मंजिल दूर है फिर भी है इंतजार उसका,
अब शाम मेरी नाम दुख्तरे अंगूर हुई है।।
#dying4her
©AK47
(कसीदे - प्रसंसा, माजूर - प्रतिफल, दुख्तरे अंगूर- शराब)

© AK47