...

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जिंदगी
जिंदगी फिर मिलेगी कहां फिर से,
ज़ी लो खुश रह कर ये जिंदगी,
बातें बनती है बनने दो,
ये दुनिया नही है किसी की,
इस दुनिया में है तो बस ये जिंदगी।

किसी की खामोश जिंदगी,
किसी की गुमनाम जिंदगी,
किसी को नाम बनाना है,
किसी को नाम ओर बेहैतर बनाना है।।

खामोश जिंदगी यादें याद दिलाए जिंदगी,
घाम और खुशयों की ओट में छुपी ये जिंदगी।।

जिंदगी गुमनाम मेरी नाम बनना है,
चैहेरे पर मुस्कान लिए जिंदगी जिए चले जाना है,
ये जिंदगी याद दिलाती है लम्हे,
कभी आंखें नम कर जाते है लम्हे,
कभी होठों पर हल्की सी मुस्कान लाते है लम्हे।।

ख्वाहिश वो बचपन की बदल गई है,
जिंदगी करे ख्वाहिश अब फिर से जीने की बचपन।।

दो मुंहीये दुनिया है,
बातें बनाए दो तरह की,
अगर सुनी बातें तो रुक जाओगे,
फिर बाद में पछताओगे।।

ख़ाली किताब सी ये जिंदगी,
कोरे पन्ने पर लिखने को ज़ी चाहता है।
खुशी और ग़म से भरी ये जिंदगी,
मुस्का कर जीने को जी चाहता है।।

ये अधूरी सी जिंदगी,
ये ख़ाली किताब सी जिंदगी,
उस बचपन को जीना चाहें,
उस बचपन को लिखना चाहें,
जो ख़ामोश कही है।।

ख़ाली किताब सी ये जिंदगी,
क्यूं इस जिंदगी को बदलना चाहें,
क्यूं ना इसको जीना चाहें,
क्यूं जिंदगी ये ख़ामोश पड़ी है।।

जिंदगी बेहैतर बनना चाहें।
जिंदगी क्यूं बेहैतर बनना चाहें?

Thank you ❤️

© Devansh Baliyan