मैं और तुम
मैं और तुम
यानी नदी के दो किनारे,
जो साथ तो रहते हैं,
पर कभी मिलते नहीं।
सफर अंतहीन हो भले ही
फिर भी साथ हैं रहते।
बरसातों में,
उफानों में,
सुनसान जंगलों में साथ
भटकते हैं,
चोटिल होते हैं द्वीपों से टकराकर,
थोड़े डगमगाते हैं,...
यानी नदी के दो किनारे,
जो साथ तो रहते हैं,
पर कभी मिलते नहीं।
सफर अंतहीन हो भले ही
फिर भी साथ हैं रहते।
बरसातों में,
उफानों में,
सुनसान जंगलों में साथ
भटकते हैं,
चोटिल होते हैं द्वीपों से टकराकर,
थोड़े डगमगाते हैं,...