...

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तुम क्या मिले...
तुम क्या मिले, मुकद्दर संवर गया,
खाली दामन खुशियों से भर गया.

हम - तुम मिले तो, उफ देखो ना,
वक्त, अपने जगह पर, ठहर गया.

अब अपना दिन अपनी ही है रातें,
मौसम हिज्र का, अब, गुजर गया.

हम साथ साथ होने से जाने जां,
रंग_ए_इश्क हवा में बिखर गया.

ताउम्र रहे हम एक दूजे के साथ,
रब भी, अब ये, इशारा कर गया.

© एहसास ए मानसी