आहट ✍️
जी हां , फिर से आया एक करके पाप हूं
आज से मैं इश्क के सख्त खिलाफ हूं
मुझमें नही है रहमदिली मैं पत्थर से बना हूं
ऐसा नहीं है ऐसा मैं किसी डर से बना हूं
यूं ही तुझको डाल दिया फूलों की बस्ती में
माफ करना आरजू ए दिल करता इंसाफ हूं
आज से मैं इश्क के सख्त खिलाफ हूं
तू गर पाक साफ है मेरे घर में मुजरा क्यों
यहां तो सब वहशी है मेरी गली से गुजरा क्यों
आज बोलने दो मुझे किरदार उस सफेद पर
मैं ही...
आज से मैं इश्क के सख्त खिलाफ हूं
मुझमें नही है रहमदिली मैं पत्थर से बना हूं
ऐसा नहीं है ऐसा मैं किसी डर से बना हूं
यूं ही तुझको डाल दिया फूलों की बस्ती में
माफ करना आरजू ए दिल करता इंसाफ हूं
आज से मैं इश्क के सख्त खिलाफ हूं
तू गर पाक साफ है मेरे घर में मुजरा क्यों
यहां तो सब वहशी है मेरी गली से गुजरा क्यों
आज बोलने दो मुझे किरदार उस सफेद पर
मैं ही...