...

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**आपकी कसम**
दिल उड़ा जा रहा है,उन अहसासों के दौर से गुज़र रही हूँ,
बस में नही ज़ज़्बात अब ,मैं जाने किस ओर से गुज़र रही हूं,

ख़्वाबों ख्यालों भी अक़्सर , जी रही हूँ आपको ही,
दर्द की शाम ठहरी है ,फ़िर भी ख़ुशी के छोर से गुज़र रही हूँ,

हाथ से रेत सी फिसल रही है ,ये वक़्त की रफ़्तार कैसी है,
थमे थमे से क़दम रखकर , मोहब्बत के ज़ोर से गुज़र रही हूँ,

हर साँस से निकलता है ,फ़क़त बस नाम आपका ही,
जो दिल पे छाया है हर घड़ी ,मैं उस चित्तचोर से गुज़र रही हूँ,

मोहब्बत ऐसी शय है जाना नही था 'आपकी कसम'
सुनहरी धूप खिली है ,और मैं घटा घनघोर से गुज़र रही हूँ ,

अब टूटना चाहती हैं सनम , मेरे इंतज़ार की हदें,
अब हर बंधन को तोड़कर , मैं हर ओर से गुज़र रही हूँ।।

-पूनम आत्रेय