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एक सितारा बोल पड़ा!
सुरज लुप्त हुआ क्षितिज पर और अंधेरे ने जब अम्बर को अपने आगोश मे ले लिया,
तब एक सितारा बोल पड़ा..
मैं अनंत ब्रम्हांड से हू कुछ ऐसे जुड़ा,
टिमटिमाता, झगमगाता और सुंदर जैसे हो कोई रत्न जड़ा l
मैं चमकता हुआ हू प्रेमयुक्त बड़ा,
मेरी चाँदनी को हासिल करने के लिए मैं सभी मुश्किलों से हू लड़ाl
स्वयं प्रकाशमान हो कर अंधेरी रातों में हू खडा,
अपने सवालों से मैं असमंजस मे हू पड़ाl
क्या रूठी चाँदनी को मनांना होगा बहोत मुश्किल या आसान होगा थोडा?
© Infinite Optimism
तब एक सितारा बोल पड़ा..
मैं अनंत ब्रम्हांड से हू कुछ ऐसे जुड़ा,
टिमटिमाता, झगमगाता और सुंदर जैसे हो कोई रत्न जड़ा l
मैं चमकता हुआ हू प्रेमयुक्त बड़ा,
मेरी चाँदनी को हासिल करने के लिए मैं सभी मुश्किलों से हू लड़ाl
स्वयं प्रकाशमान हो कर अंधेरी रातों में हू खडा,
अपने सवालों से मैं असमंजस मे हू पड़ाl
क्या रूठी चाँदनी को मनांना होगा बहोत मुश्किल या आसान होगा थोडा?
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