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कोई मिलता
कोई मिलता दो पल मुझसे,
मिलकर फिर मुस्काता।
आनंदित उर होती मैं,
अनुपम सुख मैं पाती।
स्नेह भरे दो नयन किसी के,
मुझ पर भी पड़ जाते।
मेघ सघन बन जाते मुझ पर,
प्रेम सुधा बरसाते।
मधुर प्रेम की बात बताती,
स्नेहिल दीप जलाती।
अभिनव प्रेम गीत में लिखती,
और वह उनको गाता।
कोई मिलता दो पल मुझसे,
मिलकर फिर मुस्काता।
मेरे मुरझाए दिल को अपने,
प्रेम की औंस से सींच जाता।
© Anu
मिलकर फिर मुस्काता।
आनंदित उर होती मैं,
अनुपम सुख मैं पाती।
स्नेह भरे दो नयन किसी के,
मुझ पर भी पड़ जाते।
मेघ सघन बन जाते मुझ पर,
प्रेम सुधा बरसाते।
मधुर प्रेम की बात बताती,
स्नेहिल दीप जलाती।
अभिनव प्रेम गीत में लिखती,
और वह उनको गाता।
कोई मिलता दो पल मुझसे,
मिलकर फिर मुस्काता।
मेरे मुरझाए दिल को अपने,
प्रेम की औंस से सींच जाता।
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