...

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लौटकर आऊंगा नही मैं भी॥
मुक्कदर का सिकंदर हूं,
अंततः हारूंगा नही मैं भी।
चला जाऊंगा तुझसे दूर पर,
तुझको पुकारूंगा नहीं मैं भी॥

तुझको अकरास है गर तो,
तुझे अब याद आऊंगा नही मैं भी।
कि माना तू इस दिल की मलिका है,
तो किसी और को अब इस दिल में,
बसाऊंगा नही मैं भी॥

पर तू पुकारेगी मुझे इक रोज,
यकीं तो मुझको है ये भी।
तेरी आवाज तो सुन लूंगा,
मगर लौटकर आऊंगा नही मैं भी॥

टूटकर चाहा तो था तुझको,
और टूटकर चाहूंगा मैं अब भी
तू फिर भी पुकारेगी तो सुन लूंगा,
पर लौटकर आऊंगा नही मैं भी॥

माना तुझे पाया नहीं तो क्या,
गिला सबसे करूं मैं भी।
कि सबसे चर्चे करूं तेरे और,
तुझे रुसवा करू मैं भी॥

हां माना तू बेवफा है पर,
अब तुझको बेवफा कह दूं।
जानता तो हूं कि बेहया है पर,
ये तो फितरत है नही मेरी॥

कि बहुत हुआ गिला शिकवा,
कि अब तो चलता हूं मैं भी,
मेरे छोटो है शुभकामनाएं और
बड़ो को राम राम है जी॥
© ranvee_singh