...

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वक्त ने बताया मुझे, वक्त की पहचान करना✍✍🙏
PLEASE READ THE WHOLE POEM✍✍✍I hope you like it💖

वक्त से थी बधी मै,,
शोर था ये की, हूँ मनचली मै,,,
रास्तों की पहचान मे हूँ मै,,,
किन्तु मंजिल से भटकी नही मै।
वक्त बदलता गया""
बदलता गया""
कभी मेरी मंजिल खुद मिलेगी!!
इस विचार मे, थी खड़ी मै,,,,
ना थी मंजिल की पहचान मुझे""
सदा स्वप्न में रहती थी मै।
जब स्वप्न मुझ पर मुस्कुरा उठी""
तब मै नीद से जगी""
बड़ी देर हो गयी""
इसी विचार में थी पड़ी।
वक्त ने मुझे बताया, वक्त की पहचान करना,,,
"""मुश्किलें ना होंगी कम,
फिर भी बढ़ते जाओ तुम।
रूका जो गीर पड़ा,
उठा जो आगे बढ़ चला।
लड़ना है तुझको,
आगे बढ़ना है तुझको,
रूकना नही, बस आगे बढ़ना है तुझको,
जीत भी तेरी,,
हार भी तेरी,,,
डरना नही, बस आगे बढ़ना है तुझको।"""
अब उठी मै,,
समझ चुकी हूँ अपनी मंजिल मै,,,
ना वक्त से बधी,,,
ना नीद मे पड़ी,,,
अपनी मंजिल की तलाश मे थी मै।

Thank you💖