बहुत सी ख़्वाइशों को ग़रीबी मार देती है...
कितना भी हो हुनर बदनसीबी मार देती है।
बहुत सी ख़्वाइशों को ग़रीबी मार देती है।।
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दूर रहकर के सलामत थी मोहब्बत दरम्यां,
कभी कभी रिश्तों को क़रीबी मार देती है।।
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इंसान होके जीना कोई मुश्किल काम नहीं,
मगर हम अदीबों को...
बहुत सी ख़्वाइशों को ग़रीबी मार देती है।।
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दूर रहकर के सलामत थी मोहब्बत दरम्यां,
कभी कभी रिश्तों को क़रीबी मार देती है।।
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इंसान होके जीना कोई मुश्किल काम नहीं,
मगर हम अदीबों को...