...

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राम दिखेंगे राम महल में ज्योति जगाए बैठे थे
राम दिखेंगे राम महल में, ज्योति जगाए बैठे थे,
अपने ही साँपों से हम सब, आस लगाए बैठे थे।

अक्षत चंदन पुष्प सभी, एक थाल सजाए बैठे थे,
ढोल मजीरा संग मृदंग, हम साज सजाए बैठे थे।
मिट गई पीढ़ियाँ जाने कितनी, प्रभु का महल देखने को,
कितने ही वर्षों से हम, पाषाण उठाए बैठे थे।
राम दिखेंगे राम महल में, ज्योति जगाए बैठे थे,
अपने ही साँपों से हम सब, आस लगाए बैठे थे।

जो राम स्वयं मर्यादा थे,मर्यादा उनकी रख न सके।
जो राम त्याग गए स्वर्ण महल,एक कमरा भी उनका धर न सके
परपीड़ा भी हरने वाले के, अपने जाल बिछाए बैठे थे।
राम...