...

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मुलाकात
मुद्दतों बाद तुम अगर कहीं मिल जाओ तो
कदम तुम्हारे तब भी क्या लड़खड़ायेगे !
थरथराते होठों से उभरेगे क्या कुछ लफ्ज पुराने
निगाहें तुम्हारी क्या फिर मुड़ मुड़ जायेगी !!

उठती हुई हर मुस्कान को रोकेगे अन्दाज तेरे
निगाहों की सख्ती को तोड़ेगें ख्याल तेरे !
खामोशी तेरी बोलेगी या बोलेगी निगाहें
देखेगी आप मुझे या देखेगी यूँ ही नजारे !!

सामने होते हुए भी मैं ना बोलुँगा कुछ
धड़कने...