...

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तेरी मेरी रात...और वो चांद
अनजानी रातों में
तुम्हारी बातों में
इन डूबlतीआँखों में
कुछ यू खोना है
जैसे हो कोई धागे उलझे
जो तोड़ने से भी न सुलझे
तेरी बाहों में सोना है
खुद से खुदको इक बार और खोना है
डूबती हुई रात में नशा अभी काफी है
अभी तो आधी और रात बाकी है
मेरे दिल मे जो तेरी झांकी है
क्या तेरे दिल में भी सांझी है
क्या में दिखती हू तुझे चांद में
जैसे मुझे दिखता है तू हर मेरी फ़रियाद में ...







© meetali