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ये क्या हो गया है
आशियाना वो मेरा शमशान हो गया है ।
आँगन ये उसका क़ब्रिस्तान हो गया है ।।
वो चौराहों पर लेकर खड़ा अपनी लाज़ ।
बेफिक्र बिकने को अब तैयार हो गया है ।।
कैसे कहें कौन ज़िन्दा है रूहों में अपनी ।
अब तो ये इंसान दर्द मे तबाह हो गया है ।।
इक साँस के बाद, दूसरी साँस लेना यहाँ ।
हर किसी का ज़िंदगी में मुहाल हो गया है ।।
वो लम्हा भी यूँ साथ चलने को राज़ी नही ।
क्या कहें उसे भी खुद पे गुमान हो गया है ।।
सौदे का बड़ा कच्चा निकला 'अल्फाज़' तू ।
देकर ज़ान अपनी तू भी कंगाल हो गया है ।।
#WritcoQuote #writco # #writcopoem
आँगन ये उसका क़ब्रिस्तान हो गया है ।।
वो चौराहों पर लेकर खड़ा अपनी लाज़ ।
बेफिक्र बिकने को अब तैयार हो गया है ।।
कैसे कहें कौन ज़िन्दा है रूहों में अपनी ।
अब तो ये इंसान दर्द मे तबाह हो गया है ।।
इक साँस के बाद, दूसरी साँस लेना यहाँ ।
हर किसी का ज़िंदगी में मुहाल हो गया है ।।
वो लम्हा भी यूँ साथ चलने को राज़ी नही ।
क्या कहें उसे भी खुद पे गुमान हो गया है ।।
सौदे का बड़ा कच्चा निकला 'अल्फाज़' तू ।
देकर ज़ान अपनी तू भी कंगाल हो गया है ।।
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